गिला-शिकवा शायरी | Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

हेलो रीडर्स आज इस पोस्ट में मैंने आपके लिए बेस्ट गिला शिकवा शायरी को प्रस्तुत किया है। अगर आप अपने स्टेटस में लगाने के लिए गिला शिकवा शायरी खोज रहे हैं तो इस पोस्ट में मैने आपके लिए बेस्ट गिला-शिकवा शायरी को लिखकर शेयर किया है। आप गिला शिकवा शायरी को कॉपी करके इसे अपने स्टेटस मेक्लागा 

गिला-शिकवा शायरी | Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

तक़दीर के लिखे पर कभी
शिक़वा न किया कर ऐ इंसान,
तू इतना अक़्लमंद नहीं
जो भगवान के इरादे समझ सके।

गिला-शिकवा शायरी Gila-Shiqwa Shayari in Hindi


Be-Sabab Yun Hi Sar e Shaam Nikal Aate Hain,
Hum Bulayein To Unhein Kaam Nikal Aate Hain.

बे-सबब यूं ही सर ए शाम निकल आते हैं,
हम बुलाये तो उन्हें काम निकले आते हैं।


Nigaahon Ke Takaaje Chain Se Marne Nahi Dete,
Yahan Manjar Hi Aise Hain Ke Dil Bharne Nahi Dete,
Kalam Main To Utha Kar Jaane Kab Ka Rakh Chuka Hota,
Magar Tum Ho Ke Kissa Mukhtsar Karne Nahi Dete.

निगाहों के तकाजे चैन से मरने नहीं देते,
यहां मंजर ही ऐसे हैं के दिल भरने नहीं देते,
कलाम मैं तो उठा कर जाने कब का रख चुका होता,
मगर तुम हो के किस्सा मुक्तसर करने नहीं देते।


जितनी शिद्दत से मुझे जख्म दिया है
उसने इतनी शिद्दत से
तो मैंने उसे चाहा भी ना था


जब गिला शिकवा अपनों से
हो तो खामोशी ही भली,
अब हर बात पे जंग हो
यह जरूरी तो नहीं।


ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम
ने कुछ हम से कहा होता कुछ
हम से सुना होता -चराग़ हसन हसरत


ख्वाहिशों का काफिला भी अजीब ही है
अक्सर वहीँ से गुजरता है जहाँ रास्ता ना हो


कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से,
मगर सभी को शिकवा हवा से होती है।


कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत
मेरी लब पे रह जाती है
आ आ के शिकायत मेरी


तेरी बातें ही सुनाने आये
दोस्त भी दिल दुखाने ही आये

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गिला-शिकवा शायरी | Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

तेरी बातें ही सुनाने आये
दोस्त भी दिल दुखाने ही आये


गिला भी तुझ से बहुत है
मगर मोहब्बत भी वो बात अपनी
जगह है ये बात अपनी
जगह -बासिर सुल्तान काज़मी

गिला-शिकवा शायरी Gila-Shiqwa Shayari in Hindi


हम क्यूँ,शिकवा करें झूठा,क्या हुआ
जो दिल टूटा शीशे का खिलौना था,
कुछ ना कुछ तो होना था,


तू होश में थी फिर भी
हमें पहचान न पायी,
एक हम हैं के पीकर भी
तेरा नाम लेते रहे।


बदलते इस ज़माने ने सबको बदल डाला
ख्वाबों और ख्यालो को भी बदल डाला ना
बदल सका उस बेवफा को प्यार मेरा
जिसके लिए हमने अपने आपको बदल डाला


मोहब्बत ही में मिलते हैं
शिकायत के मज़े पैहम मोहब्बत
जितनी बढ़ती है शिकायत
होती जाती है -शकील बदायुनी


कैसे कहे की उसको भी हमसे है
कोई वास्ता उसने तो हमसे
आज तक कोई गिला नहीं किया


आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत
आँसू इक तिरा ज़िक्र था और
बीच में क्या क्या निकला -सरवर आलम राज़


कोई मिला ही नहीं
जिसको सौपते मोशिन,
हम अपने ख्वाब की खुशबू,
ख्याल का मौसम।


शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है,
रिश्ता ही मेरी प्यास का पानी से नहीं है !!

गिला-शिकवा शायरी | Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

ये ना पूछ की शिकायतें कितनी है तुझसे ऐ
जिंदगी सिर्फ ये बता की तेरा
कोई और सितम बाकि तो नहीं है


शिक़वा वो भी करते हैं
शिकायत हम भी करते हैं,
मुहोब्बत वो भी करते हैं
मुहोब्बत हम भी करते हैं।


अभी म्यान में तलवार मत रख अपनी,
अभी तो शहर में एक बे-क़सूर बाकी है।


मेरी भूल की सजा कब तक दोगे,
कब तक मुझसे रूठे रहोगे,
माफ़ कर दो अब तो मुझे,
यूं ही कब तक खफा रहोगे।

Meri Bhool Ki Saza Kab Tak Doge,
Kab Tak Mujhse Roothhe Rahoge,
Maaf Kar Do Ab To Mujhe,
Yoon Hi Kab Tak Roothhe Rahoge.


कहते-कहते बदल देता है क्यूँ बातों का रुख,
क्यूँ खुद अपने आप के साथ वो सच्चा नहीं।

Kehte-Kehte Badal Deta Hai Kyun Baaton Ka Rukh,
Kyun Khud Apne Aap Ke Saath Wo Sachcha Nahi.


Kab Talak Tujh Pe Inhisar Karein,
Kyun Na Ab Doosron Se Pyar Karein,
Tu Kabhi Waqt Par Nahi Pahuncha,
Kis Tarah Tera Aitbaar Karein.

कब तलक तुझपे इंहिसार करें,
क्यों न अब दूसरों से प्यार करें,
तू कभी वक़्त पर नहीं पहुंचा,
किस तरह तेरा ऐतबार करें।

गिला-शिकवा शायरी Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

Kabhi Jo Mile Fursat To Batana Zarur,
Wo Kaun Si Mohabbat Thi Jo Main Na De Saka.

कभी जो मिले फुर्सत से बताना जरूर ,
वो कौन सी मोहब्बत थी जो मैं ना दे सका।


एक पल की जुदाई भी गंवारा न कर सके,
ऐसा वाला इश्क़ हम दोबारा न कर सके,
ज़िन्दगी भर पलट के भी न देखा तुमने,
हम फिर भी शिक़वा तुम्हारा न कर सके।


क्यों अपने इस आशिक का, परवानों में नाम लेते हो,
कह कर कि दिल दोगे... हमारी जान लेते हो,
पता है नहीं रख सकते, हम अपनी धड़कनों पे काबू,
फिर क्यों हमारी मोहब्बत का इम्तिहान लेते हो।


बदलते इस ज़माने ने सबको बदल डाला
ख्वाबों और ख्यालो को भी बदल डाला ना
बदल सका उस बेवफा को प्यार मेरा
जिसके लिए हमने अपने आपको बदल डाला


हमारे इश्क़ में रुस्वा हुए तुम मगर
हम तो तमाशा हो गए हैं


दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बरबाद हो गए हम उनके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।


उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के
शिकवे अब कहाँ अब तो ये बातें भी
ऐ दिल हो गईं आई गई -साहिर लुधियानवी


भूल गए या, भुलाना चाहते हो ,
दूर कर दिया, या जाना चाहते हो ,
आजमा लिया, या आजमाना चाहते हो ,
मैसेज कर रहे हो या अभी और पैसे बचाना चाहते हो..!!


फलक से चाँद उतारा गया,
मेरी आस का एक सहारा गया,
मैं दो बूँद पानी तरसती रही ,
मेरे होंठों से ज़हर गुज़ारा गया..!!


महफ़िल में मेरे ज़िक्र के आते ही
उठे वो रुस्वा-ऐ-मोहब्बत
का ये एजाज तो देखो


चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है
लो ख़मोशी भी शिकायत हो
गई -अख़्तर अंसारी अकबराबादी


तक़दीर से शिकवा भी करे तो
किस तरह करे इस तक़दीर
ने हमको मिलाया भी था उनसे


मत पूछ शीशे से
उसके टूटने कि वजह,
उसने भी किसी
पत्थर को अपना समझा होगा।


ग़लत है जज़्ब-ए दिल का शिकवा देखो
जुर्म किस का है, न खेंचो गर तुम
अपने को कशाकश दर‌मियां क्यूं हो !!


आसानी से दिल लगाये जाते है
मगर मुश्किल से वादे निभाए जाते है
मोहब्बत ले आती है
उन राहों पे जहाँ दियों के
बदले दिल जलाये जाते है


शिकवा तो बहुत है
मगर शिकायत नहीं कर सकते,
मेरे होठों को इजाजत
नहीं तेरे खिलाफ बोलने की।

गिला-शिकवा शायरी | Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

कोई गिला कोई शिकवा न रहे आप से,
ये आरज़ू है इक सिल सिला बना रहे आप से,
बस इक बात की उम्मीद है आप से,
दिल से दूर न करना अगर दूर भी रहें आप से।


ज़िंदगी से यही गिला है
मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे


न गिला है कोई हालात से,
न शिकायेतें किसी की जात से…
खुद से सारे लफ्ज जुदा हो रहे हैं
मेरी ज़िन्दगी की किताब से।


Ab Ke Kuchh Soch Ke Mujhe Khud Se Juda Karna,
Zindagi Zulf Nahi Jo Phir Se Sanwar Jayegi.


अब के कुछ सोच के मुझे खुद से जुड़ा करना,
जिंदगी जुल्फ नहीं जो फिर से सवर जाएगी।


रुलाने के बाद क्यों हँसाते है लोग जाने के
बाद क्यों बुलाते है लोग ज़िंदगी में क्या
कुछ कसर बाकी थी
जो मरने के बाद भी जलाते है लोग


कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है
वास्ता कोई तू ने तो हम से आज
तक कोई गिला नहीं किया


दिल टूटने पर भी जो शख्स,
शिकायत भी न करे,
उस शख्स की मोहब्बत में
कमियां न निकाला कर।


शिकवा तो एक छेड़ है लेकिन
हकीकतन तेरा सितम भी
तेरी इनायत से कम नहीं।


मोहब्बत की दास्ताँ सुनाने आये है
तबाह करने के बाद वो प्यार जताने आये है
आंसू पूछ लिए थे हमने कब के
मगर वो फिर से आज हमें रुलाने आये है


मोहब्बत हमने की तो एक खता हो गयी की
वफ़ा और जिंदगी ही अब सजा हो
गयी वफ़ा करते रहे इबादतों की
तरह फिर इबादत भी हमारे लिए एक गुनाह हो गयी


कहेगा झूट वो हमसे
तुम्हारी याद आती है,
कोई है मुन्तजिर कितना
ये लहेजे बोल देते हैं।


आप नाराज़ हों, रूठे, के ख़फ़ा हो जाएँ,
बात इतनी भी ना बिगड़े कि जुदा हो जाएँ !!


दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बैठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बैठे,
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बैठे..!!



एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है,
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है ,
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद ,
फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है ..!!


एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है,
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है ,
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद ,
फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है ..!!


दीदार तेरा किया हमने आज गैरो की
क़तार से ना नजर-ऐ-इनायत
हुई ना रूह को सुकून मिला


वहाँ तक चले चलो
जहाँ तक साथ मुमकिन है,
जहाँ हालात बदलेंगे
वहाँ तुम भी बदल जाना।


तकदीर ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम,
बहुत सभल कर चले फिर भी फिसल गए हम,
किसी ने यकीन तोड़ा तो किसी ने हमारा दिल,
और लोगों को लगता है बदल गए हम।


कब वो सुनता है कहानी मेरी और
फिर वो भी ज़बानी मेरी -मिर्ज़ा ग़ालिब


बड़ा मज़ा हो जो महशर में हम करें
शिकवा वो मिन्नतों से कहें
चुप रहो ख़ुदा के लिए -दाग़ देहलवी


जाने किस बात की
उनको शिकायत है मुझसे,
नाम तक जिनका नहीं मेरे अफ़साने में।


एक से सिलसिले है सब हिज्र की रुत बता गयी
फिर वही सुबह आएगी फिर वही शाम आ
गयी मेरे लहू में जल उठे उतने ही ताज़ा
दम चिराग वक़्त की साजिशी
हवा जितने दिए बुझा गयी


इंतज़ार करते करते वक़्त क्यों गुजरता नहीं,
सब हैं यहाँ मगर कोई अपना नहीं
दूर नहीं पर फिर भी वो पास नहीं ,
है दिल में कहीं पर आँखों से दूर कहीं..!!


कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था..!!


मेरा इल्ज़ाम है तुझ पर कि तू बेवफा था,
दोष तो तेरा था मगर तू हमेशा ही खफा था,
ज़िन्दगी की इस किताब में बयान है तेरी मेरी कहानी,
यादों से सराबोर उसका एक एक सफा था..!!


मानते हैं सारा जहाँ तेरे साथ होगा,
खुशी का हर लम्हा तेरे पास होगा,
जिस दिन टूट जाएँगी साँसे हमारी,
उस दिन तुझे हमारी कमी का एहसास होगा..!!


अगर मोहब्बत नहीं थी तो बता दिया होता,
तेरे एक चुप ने मेरी जिंदगी तबाह कर दी।


ज़ख़्म देने की आदत नहीं हमको,
हम तो आज भी वो एहसास रखते हैं,
बदले बदले से तो आप हैं जनाब,
जो हमारे अलावा सबको याद रखते हैं..!!

गिला-शिकवा शायरी Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

कहाँ से लाऊँ हुनर उसे मनाने का,
कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का,
मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी,
क्योंकि जुर्म मेरा था उनसे दिल लगाने का..!!


हर शाम कह जाती है एक कहानी,
हर सुबह ले आती है एक नई कहानी,
रास्ते तो बदलते है हर दिन लेकिन,
मंजिल रह जाती है वही पुरानी..!!


तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी,
आज वो क्यों मेरे साए से कतराते हैं,
हम भी वही हैं दिल भी वही है,
न जाने क्यों लोग बदल जाते हैं..!!


Dhoodhoge Ujade Rishton Me Wafa Ke Khazane,
Tum Mere Baad Meri Mohabbat Ko Yaad Karoge.

ढूढोगे उजढे रिश्तों में वफ़ा के ख़ज़ाने,
तुम मेरे बाद मेरी मोहब्बत को याद करोगे।


अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं,
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया,
तो किसी ने अपना बनाकर 'वक़्त' गुजार लिया..!!


तक़दीर के लिखे पर कभी शिक़वा न किया कर ऐ इंसान,
तू इतना अक़्लमंद नहीं जो भगवान के इरादे समझ सके।

Shikwa To Bahut Hai Magar Shikayat Nahi Kar Sakte,
Mere Hontho Ko Izazat Nahi Tere Khilaf Bolne Ki.


तकदीर बनाने वाले, तूने भी हद कर दी,
तकदीर में किसी और का नाम लिखा था,
और दिल में चाहत किसी और की भर दी..!!


Shayad Tera Najaria Mere Najariye Se Alag Tha,
Tujhe Waqt Gujarna Tha Au Mujhe Zindagi.

शायद तेरी नज़रिया मेरे नज़रिये से अलग था,
तुझे वक्त गुजरना था औ मुझे जिंदगी।


हमें उनसे कोई शिकायत नहीं,
शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं,
मेरी तकदीर को लिखकर तो,
ऊपर वाला भी मुकर गया,
पूछा तो कहा, "ये मेरी लिखावट नहीं..!!


खुदा जाने, प्यार का दस्तूर क्या होता है
जिन्हें अपना बनाया, वो न जाने क्यों दूर होता है
कहते हैं कि मिलते नहीं ज़मीन आसमान
फिर न जाने क्यूँ, आसमान ज़मीन का सरूर होता है..!!


किस तरह खुद को करें तेरे प्यार के काबिल हम,
हम आदते बदलते हैं तो तुम शर्ते बदलते रहते हो।


Yeh Rasm-e-Ulfat Ijazat Nahi Deti Varna,
Hum Tumhein Aise Bhulenge Ke Tum Yaad Rakhoge.

ये रश्म-ए-उल्फत इज्जत नहीं देता वर्ना,
हम तुम ऐसे भुलेंगे के तुम याद रखोगे।


Mat Poochh Sheeshe Se Uske Tootne Ki Wajah,
Usne Bhi Kisi Patthar Ko Apna Samjha Hoga.

मत पूछ शीशे से उसके टूटने कि वजह,
उसने भी किसी पत्थर को अपना समझा होगा।


न गिला है कोई हालात से, न शिकायेतें किसी की जात से...
खुद से सारे लफ्ज जुदा हो रहे हैं मेरी ज़िन्दगी की किताब से।

Aankh Se Dur Na Ho Dil Se Utar Jaayega,
Waqt Ka Kya Hai Gujarta Hai Gujar Jaayega.


दीवाने तेरे हैं, इस बात से इनकार नहीं,
कैसे कहें कि हमें आपसे प्यार नहीं,
कुछ तो कसूर है आपकी निगाहों का,
हम अकेले तो गुनेहगार नहीं..!!


नज़र चाहती है दीदार करना,
दिल चाहता है प्यार करना,
क्या बतायें इस दिल का आलम,
नसीब में लिखा है इंतजार करना..!!

गिला-शिकवा शायरी | Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

Abhi Mayaan Me Talwaar Mat Rakh Apni,
Abhi To Shahar Me Ek Be-Qasoor Baaqi Hai.

अभी म्यान में तलवार मत रख अपनी,
अभी तो शहर में एक बे-क़सूर बाकी है।

Main Shiqwa Karu Bhi To Kis Se Karu,
Apna Hi Muqaddar Hai Apni Hi Lakeere Hain.

मैं शिकवा करूँ भी तो किस से करूँ,
अपना ही मुकद्दर है अपनी ही लकीरें हैं।


उल्फत में अक्सर ऐसा होता है ,
आँखे हंसती हैं और दिल रोता है,
मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी,
हमसफर उनका कोई और होता है..!!

गिला-शिकवा शायरी Gila-Shiqwa Shayari in Hindi


मोहब्बत का मेरा यह सफर आख़िरी है
ये कागज, ये कलम, ये गजल आख़िरी है,
फिर ना मिलेंगे अब तुमसे हम कभी,
क्योंकि तेरे दर्द का अब ये सितम आख़िरी है..!!


मैं तो इस वास्ते चुप हूँ के तमाशा ना बने,
तू समझौता है मुझे तुझसे गिला कुछ भी नहीं।

Kyun Mere Chain-o-Sukoon Ke Dushman Ban Gaye,
Duniya Badi Haseen Hai Kisi Aur Se Dil Laga Lete.


Tum Saamne Aaye To Ajab Tamasha Hua,
Har Shiqayat Ne Jaise Khudkushi Kar Li.

तुम सामने आए तो अजब तमाशा हुआ,
हर शिकायत ने जैसे खुदकुशी कर ली।


मुद्दत से कोई शख्स रुलाने नहीं आया,
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया,
जो कहता था कि रहेंगे उम्र भर साथ तेरे,
अब रूठे हैं तो कोई मनाने नहीं आया..!!


तुम ने चाहा ही नहीं हालात बदल सकते थे,
तेरे आाँसू मेरी आँखों से निकल सकते थे,
तुम तो ठहरे रहे झील के पानी की तरह,
दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे..!!


दस्तूर-ए-उल्फ़त वो निभाते नहीं हैं,
जनाब महफ़िल में आते ही नहीं हैं,
हम सजाते हैं महफ़िल हर शाम,
एक वो हैं जो कभी तशरीफ़ लाते ही नहीं हैं..!!


आग से सीख लिया हम ने यह करीना भी,
बुझ भी जाना पर बड़ी देर तक सुलगते रहना,
जाने किस उम्र में जाएगी यह आदत अपनी,
रूठना उससे और औरों से उलझते रहना..!!


समझा न कोई हमारे दिल की बात को,
दर्द दुनिया ने बिना सोचे ही दे दिया,
जो सह गए हर दर्द को हम चुपके से,
तो हमको ही पत्थर दिल कह दिया..!!


दर्द ही सही मेरे इश्क़ का इनाम तो आया,
खाली ही सही होठों तक जाम तो आया,
मैं हूँ बेवफा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही चलो उसके लबों पर मेरा नाम तो आया..!!


तुमने सोच लिया मिल जाएंगे बहुत चाहने वाले,
ये भी सोच ले के फ़र्क होता है चाहता में भी।

Agar Mohabbat Nahi Thi To Bata Diya Hota,
Tere Ek Chup Ne Meri Zindagi Tabaah Kar Di.


ज़िंदगी से चले हैं अब इल्ज़ाम लेकर,
बहुत जी चुके हैं अब उनका नाम लेकर,
अकेले बातें करेंगे अब वो इन सितारों से,
अब चले जायेंगे उन्हें यह सारा आसमान देकर..!!


भुला के मुझको अगर तुम भी हो सलामत,
तो भुला के तुझको संभलना मुझे भी आता है,
नहीं है मेरी फितरत में ये आदत वरना,
तेरी तरह बदलना मुझे भी आता है..!!


ज़िंदगी हमारी यूँ सितम हो गयी,
ख़ुशी ना जाने कहाँ दफ़न हो गयी,
बहुत लिखी खुदा ने लोगों की मोहब्बत,
जब आयी हमारी बारी तो स्याही ही ख़त्म हो गयी


Ye To Na Kah Ke Ye Kismat Ki Baat Hai,
Meri Barbadiyon Me Tera Bhi Hath Hai.

ये तो ना कह के ये किस्मत की बात है,
मेरी बरबादियों में तेरा भी हाथ है।


Aas Paas Tera Ehsaas Ab Bhi Liye Baithe Hain,
Tu Hi Nazar-Andaz Kare To Shiqwa Kis Se Karein.

आस पास तेरा एहसास अब भी लिए बैठे हैं,
तू ही नज़र-अंदाज़ करे तो शिकवा किस से करे।


उनसे कहना अपनी किस्मत पे गुरूर अच्छा नहीं होता,
हम ने बरिश में भी जलते हुए घर देखे हैं।

Main To Iss Vaaste Chup Hun Ke Tamasha Na Bane,
Tu Samajhta Hai Mujhe TujhSe Gila Kuch Bhi Nahi.


क्यूं मेरे चैन-ओ-सुकून के दुश्मन बन गए,
दुनिया बड़ी हसीन है किसी और से दिल लगा लेते हैं।


Mere Kisse Sar-e-Bazaar Uchhaale Usne,
Jis Ka Har Aib Zamane Se Chhupaya Maine.

मेरे किस्से सर-ए-बाजार उछाले उसने,
जिस का हर ऐब जमाने से चुपाया मैंने।


मुझे सता के वो मेरी दुआएं लेता है,
उसे खबर है कि मुझे बद्दुआ नहीं आती,
सब कुछ सौप दिया उसे हमने,
फिर भी वो कहता है, हमें वफा नहीं आती..!!


हमने सोचा कि सिर्फ हम ही उन्हें चाहते हैं,
मगर उनके चाहने वालों का तो काफ़िला निकला,
मैंने सोचा कि शिकायत करू खुदा से,
मगर वह भी उनके चाहने वालों में निकला..!!


Mat Poochh Sheeshe Se Uske Tootne Ki Wajah,
Usne Bhi Kisi Patthar Ko Apna Samjha Hoga.

मत पूछ शीशे से उसके टूटने कि वजह,
उसने भी किसी पत्थर को अपना समझा होगा।


वादा करके वो निभाना भूल जाते हैं,
लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं,
ऐसी आदत हो गयी है अब तो उस हरजाई की,
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं..!!


सब फ़साने हैं दुनियादारी के,
किस से किस का सुकून लूटा है,
सच तो ये है कि इस ज़माने में,
मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है..!!


ज़िंदा रहे तो क्या है, जो मर जायें हम तो क्या,
दुनिया से ख़ामोशी से गुज़र जायें हम तो क्या,
हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने,
एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या..!!


Roya Hun To Apne Doston Me,
Tujhse To Hans Ke Hi Mila Hun.

रोया हूँ तो अपने दोस्तो में,
तुझसे तो हंस के ही मिला हूँ।

Tu Mujhe Apna Bana Ya Na Bana Teri Khushi,
Tu Zamane Me Mere Naam Se Badnaam To Hai.

तू मुझे अपना बना या ना बना तेरी खुशी,
तू जमाने में मेरे नाम से बदनाम तो है।


वादा करके निभाना भूल जाते हैं,
लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं,
ऐसी आदत हो गयी है अब तो सनम की,
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं..!!


शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकते,
मेरे होठों को इजाजत नहीं तेरे खिलाफ बोलने की।

Unse Kehna Apni Kismat Pe Guroor Achha Nahi Hota,
Hum Ne Barish Me Bhi Jalte Hue Ghar Dekhe Hain.


Jab Gila Shikwa Apno Se Hi Ho To Khamoshi Bhali,
Ab Har Baat Par Jang Ho Jaruri To Nahin.

जब गिला शिकवा अपनों से हो तो खामोशी ही भली,
अब हर बात पे जंग हो यह जरूरी तो नहीं।

Milaate Ho Usi Ko Khak Me Jo Dil Se Milta Hai,
Meri Jaan Chahne Wala Badi Mushkil Se Milta Hai.

मिलाते हो उसी को खाक में जो दिल से मिला है,
मेरी जान चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिला है।

Ye Tera Khel Na Ban Jaye Hakiqat Ek Din,
Yun Ret Pe Likh Ke Mera Naam Mitaya Na Karo.

ये तेरा खेल ना बन जाए हकीकत एक दिन,
यूँ रेट पे लिख के मेरा नाम मिटाया ना करो।


Agar Tum Samjh Paate Meri Chaahat Ki Intehan,
Toh Hum Tumse Nahi Tum Humse Mohabbat Karte.

अगर तुम समझ पाए मेरी चाहत का इंतजार,
तो हम तुमसे नहीं तुम हमसे मोहब्बत करते।


Ye Inayate Gajab Ki Ye Balaa Ki Meharbani,
Meri Khairiyat Bhi Puchhi Kisi Aur Ki Jubani.

ये इनायते गजब की ये बला की महरबानी,
मेरी खैरियत भी पूछी किसी और की जुबानी।


Koi Charag Jalata Nahin Saleeke Se,
Magar Sabhi Ko Shikwa Hawa Se Hota Hai.

कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से,
मगर सभी को शिकवा हवा से होती है।


Ek Na Ek Din Main Dhoondh Hi Lunga Tumko,
Thhokrein Zeher To Nahi Ke Kha Bhi Na Saku.

एक ना एक दिन मैं खोज ही लुंगा तुमको,
ठोकरें जहर तो नहीं के खा भी ना सकू।


Tumne Soch Liya Mil Jayenge Bahut Chahne Wale,
Ye Bhi Soch Lete Ke Fark Hota Hai Chahto Me Bhi.


Bahut Mashroof Ho Shayad
Jo Humko Bhul Baithe Ho,
Na Ye Puchha Kahan Pe Ho
Na Ye Jaana Ke Kaise Ho.

बहुत मशरूफ हो शायद
जो हमको भूल बैठे हो,
ना ये पुछा कहाँ पे हो
ना ये जाना के कैसे हो।


कहेगा झूट वो हमसे तुम्हारी याद आती है,
कोई है मुन्तजिर कितना ये लहेजे बोल देते हैं।

Tere Baad Humne Iss Dil Ka Darwaja Khola Hi Nahi,
Varna Bahut Se Chand Aaye, Tere Ghar Ko Sajaane Ke Liye.

तेरे बाद हमने इस दिल का दरवाजा खोला ही नहीं,
वरना बहुत से चाँद आये तेरे घर को सजाने के लिए।


Ye Inayate Gajab Ki Ye Balaa Ki Meharbani,
Meri Khairiyat Bhi Puchhi Kisi Aur Ki Jubani.

ये इनायते गजब की ये बला की महरबानी,
मेरी खैरियत भी पूछी किसी और की जुबानी।

Ye To Na Kah Ke Ye Kismat Ki Baat Hai,
Meri Barbadiyon Me Tera Bhi Hath Hai.

ये तो ना कह के ये किस्मत की बात है,
मेरी बरबादियों में तेरा भी हाथ है।


अगर मोहब्बत नहीं थी तो बता दिया होता,
तेरे एक चुप ने मेरी जिंदगी तबाह कर दी।

गिला-शिकवा शायरी Gila-Shiqwa Shayari in Hindi


Roya Hun To Apne Doston Me,
Tujhse To Hans Ke Hi Mila Hun.

रोया हूँ तो अपने दोस्तो में,
तुझसे तो हंस के ही मिला हूँ।

Tu Mujhe Apna Bana Ya Na Bana Teri Khushi,
Tu Zamane Me Mere Naam Se Badnaam To Hai.

तू मुझे अपना बना या ना बना तेरी खुशी,
तू जमाने में मेरे नाम से बदनाम तो है।


Bahut Mashroof Ho Shayad
Jo Humko Bhul Baithe Ho,
Na Ye Puchha Kahan Pe Ho
Na Ye Jaana Ke Kaise Ho.

बहुत मशरूफ हो शायद
जो हमको भूल बैठे हो,
ना ये पुछा कहाँ पे हो
ना ये जाना के कैसे हो।

गिला-शिकवा शायरी | Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

Dekha Hai Aaj Mujhe Bhi Gusse Ki Nazar Se,
Malum Nahi Aaj Wo Kis Kis Se Lade Hain.

देखा है आज मुझे भी गुस्से की नजर से,
मालूम नहीं आज वो किस किस से लङे हैं।


Unhi Raston Ne Jin Pe Kabhi Tum Sath The Mere,
Mujhe Rok Rok Puchha Tera Humsafar Kahan Hai.

उन्ही रास्तों ने जिन पे कभी तुम साथ थे मेरे,
मुझे रोक रोक पूछा तेरा हमसफ़र कहाँ है।


हेलो रीडर्स आज इस पोस्ट में मैंने आपके लिए बेस्ट गिला शिकवा शायरी को प्रस्तुत किया है। अगर आप अपने स्टेटस में लगाने के लिए गिला शिकवा शायरी खोज रहे हैं तो इस पोस्ट में मैने आपके लिए बेस्ट गिला-शिकवा शायरी को लिखकर शेयर किया है। आप इसे कॉपी करके अपने स्टेटस में लगा सकते है।