ढून्ढ रहे हे मगर नाकाम रहे अब तक ,
वो लम्हा जिस मैं तू याद न आया हो..!!
जलने दो ज़माने को चलो एक साथ चलते हैं,
नयी दुनिया बसाने को चलो एक साथ चलते हैं,
हमें जीवन का हर लम्हा तुम्हारे नाम करना है,
यही वादा निभाने को चलो एक साथ चलते हैं।
यादें करवट बदल रही हैं
और मैं तनहा तनहा सा हूँ,
वक़्त भी जिससे रूठ गया है
मैं वो बेबस लम्हा हूँ।
मैं कुछ लम्हा और तेरा साथ चाहता था,
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था,
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर,
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।
तुमसे दूरी का एहसास जब सताने लगा,
तेरे साथ गुज़ारा हर लम्हा याद आने लगा,
जब भी कोशिश की तुम्हें भुलाने की,
तू और भी इस दिल के करीब आने लगा।
मेरी ज़िन्दगी में एक ऐसा शक्श भी है,
जो मेरी पूरी ज़िन्दगी है और मै उसका एक लम्हा भी नही…
मेरा हर लम्हा चुराया आपने,
आँखों को एक ख्वाब देखाया आपने,
हमें ज़िन्दगी दी किसी और ने,
पर प्यार में जीना सिखाया आपने.
बंधी है हाँथ में सबके घडीयाँ मगर,
पकड़ में एक भी लम्हा भी नहीं
हैं दर्द सीने में मगर होंठों पे जज़्बात नहीं आते..
आखिर क्यों वापिस वो बीते हुए लम्हात नहीं आते !
इश्क हो तो सदिया लम्हो में कट जाती है,
और लम्हे सदियो में नहीं कटते.
शाम होते ही दिल उदास हो जाता है |
सपनों के सिवा ना कुछ खास होता है ||
आपको तो बहुत याद करते हैं हम |
यादों का लम्हा मेरे लिए कुछ खास होता है
एक उम्र है जो तेरे बगैर गुज़ारनी है,
और एक लम्हा भी तेरे बगैर गुज़रता नही…
तेरी आवाज़ सुनने को तरश्ता है दिल मेरा,
तेरी एक झलक पाने को बेकरार है दिल मेरा,
अपनी ज़िन्दगी का हर लम्हा तेरे साथ गुज़ारू,
हर पल बस यही चाहता है दिल मेरा
सारी उम्र आंखो मे एक सपना याद रहा,
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा,
ना जाने क्या बात थी उनमे और हममे,
सारी महफ़िल भूल गए वह चेहरा याद रहा ।
मेरी ज़िन्दगी में एक ऐसा शक्श भी है,
जो मेरी पूरी ज़िन्दगी है और मै उसका एक लम्हा भी नही
अगर जिंदगी में जुदाई ना होती;
तो कभी किसी की याद आई ना होती;
साथ ही गुजरता हर लम्हा तो शायद;
रिश्तों में इतनी गहराई ना होती।
ढून्ढ रहे हे मगर नाकाम रहे अब तक ,
वो लम्हा जिस मैं तू याद न आया हो
एक उम्र है जो तेरे बगैर गुज़ारनी है,
और एक लम्हा भी तेरे बगैर गुज़रता नही
मेरी ज़िन्दगी में एक ऐसा शक्श भी है,
जो मेरी पूरी ज़िन्दगी है और मै उसका एक लम्हा भी नही.
दोस्ती तो ज़िन्दगी का वो खूबसुरत लम्हा है,
जिसका अंदाज सब रिश्तों से अलबेला है,
जिसे मिल जाये वो खुश..
जिसे ना मिले वो लाखों में अकेला है!
दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बैठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बैठे,
वो हमे एक लम्हा न दे पाए प्यार का,
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बैठे।
अकसर गुमसुम रहने वाला नग्मा हूँ मैं,
आपकी यादो में रहने वाला लम्हा हूँ मैं,
आप मेरी जान हो तो एक बात बताओ,
आपके होते हुए भी क्यों तन्हा हूँ मैं।
न जाने क्यूँ वक़्त इस तरह गुजर जाता है,
जो वक़्त था वो पलट कर सामने आता है,
और जिस वक़्त को हम दिल से पाना चाहते हैं,
वो तो बस एक लम्हा बनकर बीत जाता है।
एक लम्हा युगों से है ज़िन्दा
कौन कहता है दुनिया फ़ानी है
वक़्त बीतने के बाद अक़्सर ये अहसास होता है…
कि,जो छूट गया वो लम्हा ज्यादा बेहतर था…
वो मेरी पूरी जिंदगी है…
क्या मैं उसका,
एक लम्हा भी नहीं..
हर लम्हा अपनी पलकों पर बिठाया तुझे,
फिर भी ये इश्क़ मेरा न रास आया तुझे,
किस्मत की भी है यह अजीब दास्ताँ,
कभी हंसाया तो कभी रुलाया मुझे.
लत हिन्दुगिरी की लगी है
तो नशा अब सरे आम होगा
हर लम्हा मेरे जीवन का सिर्फ हिन्दुत्व के नाम होगा !
मेरी ज़िन्दगी में एक ऐसा शक्श भी है,
जो मेरी पूरी ज़िन्दगी है और मै उसका एक लम्हा भी नही…
तेरा मिलना, मेरे लिए ख्वाब सा सही,
पर तुझे भूलूँ मैं ऐसा कोई लम्हा मेरे पास नहीं।
हमने ही बरसों लगा दिए,
वरना एक लम्हा काफी था तुझे भूल जाने को।
ख्यालों में बीत रहा, हर लम्हा तेरा है,
असलियत भी तेरी थी, ख्याल भी तेरा है।
जी लो हर लम्हा,
बीत जाने से पहले…
लौट कर यादें आती है,
वक़्त नहीं…
महसूस खुद को तेरे बिना मैंने कभी किया नहीं।
तू क्या जाने लम्हा कोई मेने कभी जिया नहीं!
यादें करवट बदल रही हैं,
और मैं तनहा तनहा सा हूँ,
वक़्त भी जिससे रूठ गया है,
मैं वो बेबस लम्हा हूँ.
मैं लम्हा लम्हा हम में घुलती रही
तुम बेपरवाह सदा तुम ही रहे........
मैंने उस शख्स को कभी हासिल ही नहीं किया,
फिर भी हर लम्हा लगता है कि, मैंने उसे खो दिया
वो मेरी पूरी जिंदगी है...
क्या मैं उसका, एक लम्हा भी नहीं।
लम्हा भर मिल कर रूठने वाले,
ज़िंदगी भर की दास्तान है तू ।
मैं ख़ामोशी तेरे मन की,
तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा…
मैं एक उलझा लम्हा,
तू रूठा हुआ हालात मेरा
ख्यालों का कोहरा कुछ यादों की धुंध,
चाय की चुस्की और थोडी सी तुम
मेरा हर लम्हा चुराया आपने,
आँखों को एक ख्वाब दिखाया आपने,
हमें ज़िन्दगी दी किसी और ने,
पर प्यार में जीना सिखाया आपने
शाम होते ही दिल उदास हो जाता है |
सपनों के सिवा ना कुछ खास होता है ||
आपको तो बहुत याद करते हैं हम |
यादों का लम्हा मेरे लिए कुछ खास होता है
लत हिन्दुगिरी की लगी है
तो नशा अब सरे आम होगा
हर लम्हा मेरे जीवन का सिर्फ हिन्दुत्व के नाम होगा !
मैं वक़्त बन जाऊं, तू बन जाना कोई लम्हा…
मैं तुझमे गुज़र जाऊं, तू मुझमें गुज़र जाना
क्या बताऊँ कैसे खुद को दर-ब-दर मैंने किया,
उम्र भर किस किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया,
तू तो नफरत भी न कर पायेगा इस शिद्दत के साथ,
जिस बला का प्यार बेखबर तुझसे मैंने किया
तिनकों से बना पल, पल से बना लम्हा,
और लम्हों ने वक़्त को चुना,
हर पल कोई किसी के साथ नहीं रह सकता,
इसीलिए तो खुदा ने यादों को चुना।
है दर्द सीने में मगर होंठों पे जज़्बात नहीं आते,
आखिर क्यों वापिस वो बीते हुए लम्हात नहीं आते।
इश्क़ में हर लम्हा ख़ुशी का एहसास बन जाता है,
दीदार-ए-यार भी खुदा का दीदार बन जाता है,
जब होता है नशा मोहब्बत का,
तो अक्सर आईना भी ख्वाब बन जाता है।
एक उम्र है जो तेरे बगैर गुज़ारनी है,
और एक लम्हा भी तेरे बगैर गुज़रता नही…
मैंने उसे कभी हासिल ही नही किया
फिर भी लगता है हर लम्हा कि मैने उसे खो दिया.
अगर जिंदगी में जुदाई ना होती,
तो कभी किसी की याद आई ना होती,
साथ ही गुजरता हर लम्हा तो शायद,
रिश्तों में इतनी गहराई ना होती.
बंधी है हाँथ में सबके घडीयाँ मगर,
पकड़ में एक भी लम्हा भी नहीं.
मैं लम्हा लम्हा हम में घुलती रही
तुम बेपरवाह सदा तुम ही रहे
अकसर गुमसुम रहने वाला नग्मा हूँ मैं,
आपकी यादो में रहने वाला लम्हा हूँ मैं,
आप मेरी जान हो तो एक बात बताओ,
आपके होते हुए भी क्यों तन्हा हूँ मैं।
वक़्त बीतने के बाद अक़्सर ये अहसास होता है।
कि, जो छूट गया वो लम्हा ज्यादा बेहतर था।
मैं वक़्त बन जाऊं,
तू बन जाना कोई लम्हा…
मैं तुझमे गुज़र जाऊं,
तू मुझमें गुज़र जाना…
एक तो तेरी आवाज़ याद आएगी,
तेरी कही हुई हर बात याद आएगी,
दिन ढल जायेगा, रात को याद आएगी,
हर लम्हा पहली मुलाकात याद आएगी.
फुरसत के लम्हों का खिलौना बना कर,
वो हमको लुभाते हैं,
जब उनका दिल करे तब आते है,
नही तो छुप जाते है.
कलाई पर घड़ी बांध लेने से वक्त नहीं थमता,
उसे जीना पड़ता है ,ताकि लम्हा यादो मै कैद हो जाये
कैसे कहें कि आपके बिन यह ज़िंदगी कैसी है,
दिल को हर पल जलाती यह बेबसी कैसी है,
न कुछ कह पाते हैं और न कुछ सह पाते हैं,
न जाने तक़दीर में लिखी यह आशिकी कैसी है।
वो मेरे पाँव को छूने झुका था जिस लम्हे
जो माँगता उसे देती अमीर ऐसी थी
यादें अगर आँसू होती तो चली जाती,
यादें अगर लिखावट होती तो मिट जाती,
यादें ज़िंदगी में बसा वो लम्हा हैं,
जो लाख कोशिशों के बाद भी
लफ़्ज़ों में नहीं सिमट पाती।
महसूस खुद को तेरे बिना मैंने कभी किया नहीं।
तू क्या जाने लम्हा कोई मेने कभी जिया नहीं!
मैं ख़ामोशी तेरे मन की,
तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा…
मैं एक उलझा लम्हा,
तू रूठा हुआ हालात मेरा…
एक लम्हा युगों से है ज़िन्दा,
कौन कहता है दुनिया फ़ानी है.
जी लो हर लम्हा बीत जाने से पहले,
लौट कर यादें आती है वक़्त नहीं.
गर सुकूँ चाहिए इस लम्हा-ए-मौजूद में भी
आओ इस लम्हा-ए-मौजूद से बाहर निकलें
गुजरते लम्हों में सदियाँ तलाश करता हूँ,
प्यास इतनी है कि नदियाँ तलाश करता हूँ,
यहाँ पर लोग गिनाते है खूबियां अपनी,
मैं अपने आप में कमियाँ तलाश करता हूँ।
मैंने उस शख्स को कभी हासिल ही नहीं किया,
फिर भी हर लम्हा लगता है कि,
मैंने उसे खो दिया…
एक उम्र है जो तेरे बगैर गुज़ारनी है,
और एक लम्हा भी तेरे बगैर गुज़रता नही
महसूस खुद को तेरे बिना मैंने कभी किया नहीं।
तू क्या जाने लम्हा कोई मेने कभी जिया नहीं!
हैं दर्द सीने में मगर होंठों पे जज़्बात नहीं आते,
आखिर क्यों वापिस वो बीते हुए लम्हात नहीं आते
जिसमे दोस्त साथ होते है,
लेकिन उससे भी खूबसूरत है,
वो लम्हें जब दूर रहकर भी,
वो हमें याद करते है.
वो मेरी पूरी जिंदगी है,
क्या मैं उसका एक लम्हा भी नहीं.
मैं ख़ामोशी तेरे मन की,
तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा,
मैं एक उलझा लम्हा,
तू रूठा हुआ हालात मेरा.