alone shayari in hindi for girlfriend
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी,
हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।
उसे पाना उसे खोना उसी के हिज्र में रोना,
यही गर इश्क है तो हम तन्हा ही अच्छे हैं।
ख्वाब बोये थे और अकेलापन काटा है,
इस मोहब्बत में यारों बहुत घाटा है।
एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ
कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।
alone shayari in hindi for girlfriend
यूँ तो हर रंग का मौसम मुझसे वाकिफ है मगर,
रात की तन्हाई मुझे कुछ अलग ही जानती है।
वजह क्या है मुझे खुद नहीं मालूम पर
आज बहुत उदास, बहुत उदास हूँ मैं
साथ में जिसके एक दिन दुनिया चलता है
वह शक्श अकसर शुरू में तन्हा चलता है
हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद ना कर दे,
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर।
मैं जो हूँ मुझे रहने दे हवा के जैसे बहने दे,
तन्हा सा मुसाफिर हूँ मुझे तन्हा ही तू रहने दे।
भूल सा गया हैं बो मुझे ,
समज नहीं आ रहा की हम आम हो गए
उनके लिए या कोई खास बन गया है
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
कितनी फ़िक्र है कुदरत को मेरी तन्हाई की,
जागते रहते हैं रात भर सितारे मेरे लिए।
बहुत सोचा बहुत समझा
बहुत ही देर तक परखा,
कि तन्हा हो के जी लेना
मोहब्बत से तो बेहतर है।
वो जोश-ए-तन्हाई शब-ए-ग़म,
वो हर तरफ बेकसी का आलम,
कटी है आँखों में रात सारी,
तड़प तड़प कर सहर हुयी।
alone shayari in hindi for girlfriend
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था
वजह क्या है मुझे खुद नहीं मालूम पर
आज बहुत उदास, बहुत उदास हूँ मैं
जिंदगी ख्वाहिशों का एक मेला है
कहीं पर हार तो कहीं पर जीत का ये खेला है
जो भी मिले उससे तुम मुस्कुरा कर मिला करो
इस भीड़ में हर कोई ही अकेला है ।
चलते-चलते अकेले अब थक गए हम,
जो मंज़िल को जाये वो डगर चाहिए,
तन्हाई का बोझ अब और उठता नहीं,
अब हमको भी एक हमसफ़र चाहिए।
जहां महफ़िल सजी हो
वह मेला होता है,
जिसका दिल टूटा हो,
वो तन्हा,अकेला होता है।
सबके चेहरे अच्छे नजर आते हैं
ए खुदा बस इतनी सी दुआ है बड़े फरेबी चेहरों के ऊपर अलग सा लिख दे।
कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे,
मुझसे कर लो मोहब्बत मैं तो बेवफा भी नहीं।
ऐ शम्मा तुझपे ये रात भारी है जिस तरह,
हमने तमाम उम्र गुजारी है उस तरह
तुम्हारे बगैर ये वक़्त ये दिन और ये रात,
गुजर तो जाते हैं मगर गुजारे नहीं जाते।
मेरी पलकों का अब नींद से कोई ताल्लुक नही रहा,
मेरा कौन है ये सोचने में रात गुज़र जाती है…
वहां से बिगड़ी है ज़िंदगी मेरी
जहाँ से साथ तुमने छोड़ा था
अगर ज़िन्दगी का जंग जीतना है,
तो अकेले चलना सीखना होगा।
तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे,
तुझपे गुजरे न क़यामत शब-ए-तन्हाई की
खुद को खोकर मिले थे तुम,
अब साँझ अकेली साथ नहीं तुम।
रोते हैं वो लोग जो मोहब्बत को दिल से निभाते हैं,
धोखा देने वाले तो दिल तोड़ कर अक्सर चैन से सो जाते हैं।
कुदरत के इन हसीन नजारों का हम क्या करें,
तुम साथ नहीं तो इन चाँद सितारों का क्या करें।
कितना भी दुनिया के लिए हँस के जी लें हम,
रुला देती है फिर भी किसी की कमी कभी-कभी।
उसके दिल में थोड़ी सी जगह माँगी थी
मुसाफिरों की तरह,
उसने तन्हाईयों का एक शहर
मेरे नाम कर दिया
एक तुम्हीं थे जिसके दम पे चलती थी साँसें मेरी,
लौट आओ कि ज़िंदगी से वफ़ा निभाई नहीं जाती।
एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ,
कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।
हम अपनी हस्ती मिटा कर भी तनहा हैं
सब कुछ लुटा कर भी तनहा हैं
किसी का हाथ कैसे थाम लूँ
वो तनहा मिल गयी तो क्या कहूंगा
दिन में हमें तितलियां सताती हैं
और शम इस दिल को तन्हा कर जाती है ।
ज़माने की भीड़ उसे रास नहीं आती,
जिसे तन्हाई से बेइंतेहा प्यार होता है।
मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,
वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए।
आँखें फूटें जो झपकती भी हों,
शब-ए-तन्हाई में कैसा सोना।
घिरा हुआ हूं लोगो से,
फिर भी अकेला हूँ मै।
आज तब अहसास हुआ मुझे अकेलेपन का,
जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे।
रात भर जागता हूँ एक ऐसे बेदर्दी शख़्स की यादों में,
जिसे दिन के उजालों में भी मेरी याद नहीं आती !
कभी सोचा न था तन्हाइयों का दर्द यूँ होगा,
मेरे दुश्मन ही मेरा हाल मुझसे पूछते हैं।
जब महफ़िल में भी तन्हाई पास हो,
रोशनी में भी अँधेरे का एहसास हो,
तब किसी खास की याद में मुस्कुरा दो,
शायद वो भी आपके इंतजार में उदास हो।
मेरी लिखी किताब मेरे हाथो में देकर,
कहने लगे इसे पढा करो,
मोहब्बत करना सिख जाओगे।
तन्हाई सौ गुनी बेहतर है
झूठे वादों से झूटों लोगों से
इस तरह हम सुकून को महफूज कर लेते हैं
जब भी तनहा होते हैं तुम्हे महसूस कर लेते हैं
जीतना है मुश्किलों से
तो अकेले लड़ना सीख
कोई हरदम इस दुनिया में
साथ तो नहीं चलता
तेरे बिना मैं तनहा हूँ,
वक़्त से टूटा लम्हा हूँ।
तेरे दिल की दुनिया को रौशन कर जाऊंगा
अकेला ही आया था, अकेला ही मैं जाऊंगा ।
तेरे वजूद की खुशबु बसी है साँसों में,
ये और बात है नजरों से दूर रहते हो।
हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम,
कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।
आज तब अहसास हुआ मुझे अकेलेपन का,
जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे।
बहुत ज्यादा जुल्म करती हैं तुम्हारी यादे,
सो जाऊ तो जगा देती हैं, उठ जाऊ तो रुला देती हैं"
मेरे कुछ अपनों ने ही सिखाया
कोई अपना नहीं होता
क्या करेंगे महफिलों में हम बता,
मेरा दिल रहता है काफिलों में अकेला।
तन्हाई रही साथ ता-जिंदगी मेरे,
शिकवा नहीं कि कोई साथ न रहा।
उसे पाना उसे खोना उसी के हिज्र में रोना,
यही गर इश्क है तो हम तन्हा ही अच्छे हैं।
मेरी तन्हाइयां करती हैं जिन्हें याद सदा,
उन को भी मेरी ज़रुरत हो ज़रूरी तो नहीं।
वो भी बहुत अकेला है शायद मेरी तरह,
उस को भी कोई चाहने वाला नहीं मिला
क्या लाजवाब था तेरा छोड़ के जाना,
भरी भरी आँखों से मुस्कुराये थे हम,
अब तो सिर्फ मैं हूँ और तेरी यादें हैं,
गुजर रहे हैं यूँ ही तन्हाई के मौसम
ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है।
कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें,
हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें,
काटी हैं अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें,
हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें।
तुम जब आओगे तो खोया हुआ पाओगे मुझे,
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं,
मेरे कमरे को सजाने कि तमन्ना है तुम्हें,
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं।
मेरे इश्क़ के तरीके बेहद जुदा हैं
औरों से मुझे तनहा होने पर भी
इश्क़ करना आता है तुमसे
जब रहना है तनहा तो फिर रोना कैसा
जो था ही नहीं अपना उसे खोना किसा
पल पल रोना सिखा दिया तुमने
अच्छा हु भुला दिया तुमने
मंज़िल की तलाश में किस्मत से लड़ता हूँ,
हाँ मैं अक्सर रास्तों पर तनहा चलता हूँ।
तनहाई में अकसर, मैं ख़ुद को भूल जाता हूं
बेबसी के आलम में, तेरे नगमे गुनगुनाता हूं।
तेरी यादों के पलकों पे दिन ढलती है,
अब ये सफर बोहोत तनहा चलती है।
नज़दीकियों से इंकार जब से हम करने लगें
रफ्ता-रफ्ता प्यार ख़ुद से हम करने लगे।
तेरे साथ से बेहतर कोई रास्ता नहीं,
तुझसे दूर होकर मैं तनहा ही सही।
ज़िन्दगी के ज़हर को यूँ पी रहे हैं,
तेरे प्यार के बिना यूँ ज़िन्दगी जी रहे हैं,
अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें,
तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे हैं।
मेरी है वो मिसाल कि जैसे कोई दरख़्त,
चुप-चाप आँधियों में भी तन्हा खड़ा हुआ।
कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें,
हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें,
काटी हैं अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें,
हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें।
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना,
कभी मिलने की हसरत कभी देखने की तमन्ना।
लौट आओ और मिलो उसी तड़प से,
अब तो मुझ को मेरी वफाओं का सिला दो,
देखे हैं बहुत इसने तन्हाई के मौसम,
अब तो मेरे दिल को अपने दिल से मिला दो।
हम अंजुमन में सबकी तरफ देखते रहे,
अपनी तरह से कोई हमें अकेला नहीं मिला।
तन्हाइओं के आलम की ना बात करो दोस्त,
वर्ना बन उठेगा जाम और बदनाम शराब होगी।
दोहरी शक्सियत रखनें से इन्कार है हमें,
इसलिये अकेले रहना स्वीकार है हमें।
अकेला हूँ पर मुस्कुराता बहुत हूँ,
ख़ुद का साथ बड़ी शिद्दत से दे रहा हूँ।
जब तक थी मर्जी तब तक खेला,
फिर तुमने मुझे परे धकेला,
साथ अब मेरे मेरी कलम है,
समझो न मुझको तुम अकेला।
मेरी जंग थी वक्त के साथ,
फिर वक्त ने ऐसी चाल चली,
मैं अकेला होता गया।
"माना की में बुरा हु सो बुरा होता गया मेरे साथ,
पर तुमतो अच्छी थी ना तुमतो कुछ अच्छा कर जाती मेरे साथ"
बिखरे अरमान भीगी पलकें और ये तन्हाई,
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।
कहा था उन्होंने कि तुम अलग हो सबसे,
हमें तो लगा था सिर्फ कहा है पर उन्होंने तो कर भी दिया।
मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है,
वो तारों में तन्हा है और मैं हजारों में तन्हा
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी,
ऐसा तो कम ही होता है वो भी हो तन्हाई भी।
तुम्हारे बगैर ये वक़्त ये दिन और ये रात,
गुजर तो जाते हैं मगर गुजारे नहीं जाते।
उसके दिल में थोड़ी सी जगह माँगी थी
मुसाफिरों की तरह,
उसने तन्हाईयों का एक शहर
मेरे नाम कर दिया।
जब महफ़िल में भी तन्हाई पास हो,
रोशनी में भी अँधेरे का एहसास हो,
तब किसी खास की याद में मुस्कुरा दो,
शायद वो भी आपके इंतजार में उदास हो।
तेरे जल्वों ने मुझे घेर लिया है ऐ दोस्त,
अब तो तन्हाई के लम्हे भी हसीं लगते हैं।
दिल गया तो कोई आँखें भी ले जाता,
फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखूँ।
पल पल रोना सिखा दिया तुमने
अच्छा हु भुला दिया तुमने
तेरे अंजान सवालों से, राबता करने चलें
तन्हाई के आलम को हम, फना करने चलें
छोड़ दो तन्हा ही मुझको यारो,
साथ मेरे रहकर क्या पाओगे,
अगर हो गई तुमको मोहब्बत कभी,
मेरी तरह तुम भी पछताओगे।
वक़्त तो दो ही मुश्किल गुजरे हैं सारी उम्र में,
इक तेरे आने के पहले इक तेरे जाने के बाद।
किसी का कल अकेला था,
किसी का आज अकेला है,
सुर की तलाश है सबको,
यहाँ हर साज़ अकेला है।
कोई भी सुनलेगा दर्द,
ये दुनियां अजनबियों का मेला है,
सहानुभूति वही दिखाएगा,
जो शक्स दर्द में अकेला है
ऐ जिंदगी मुझे से दगा ना कर ,
मैं जिंदा रहूं ये दुआ न कर ,
कोई छुता है तुझको तो होती है जलन ,
ऐ हवा तू भी उसे छुआ न कर
कभी ना गिरना कमाल नहीं,
बल्कि गिरकर संभल जाना कमाल है,
किसी को पा लेना मोहब्बत नहीं,
बल्कि किसी के दिल में जगह बनाना कमाल है
हम अंजुमन में सबकी तरफ देखते रहे,
अपनी तरह से कोई हमें अकेला नहीं मिला।
मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी।
क्या लाजवाब था तेरा छोड़ के जाना,
भरी भरी आँखों से मुस्कुराये थे हम,
अब तो सिर्फ मैं हूँ और तेरी यादें हैं,
गुजर रहे हैं यूँ ही तन्हाई के मौसम
बहुत सोचा बहुत समझा,
बहुत ही देर तक परखा,
कि तन्हा हो के जी लेना,
मोहब्बत से तो बेहतर है।
ए ज़िन्दगी एक बार तू नज़दीक आ तन्हा हूँ मैं,
या दूर से फिर दे कोई सदा तन्हा हूँ मैं,
दुनिया की महफ़िल मैं कहीं मैं हूँ भी या नहीं,
एक उम्र से इस सोच में डूबा हुआ हूँ मैं।
रौशनी तेरी मुझ में समायी लगती है,
भीड़ से बेहतर अब हमे तन्हाई लगती है।
ख़ुद की दुनिया में मगरूर होते हैं
जब भी ज़माने से हम दूर होते हैं ।
उसने वक़्त के हर पहलु से लड़ना सीख लिया,
जिसने यहाँ तनहा रहना सीख लिया।
इस दर्द की लय को हम बढ़ाते चले गऐं
तन्हाइयों में अकसर जो मुस्कुराते चले गऐं ।
तुझसे रिश्ता बनाने की यही थी मेरी वजह
के औरों के संग मुस्कुराना हमें अच्छा ना लगा
मुसाफिर चला है मंज़िल दूर ही सही,
के अगर पहुचना है तो तू चलता ही जा।
अगर जीतने की ज़िद है तो, तुम पहले चलो
कोई साथ आए ना आए, लाज़िम है कि तुम अकेले चलो
चुनौतियों से लड़ना उसे खूब आता है,
इसलिए तो वो तनहा चला जाता है।
सूरज भी अकेला है, देखो मुस्कुराता है
अपनी ख़ुद की रोशनी से, सारी दुनिया रोशन कर जाता है ।
दूसरों के सहारे है कई रात गुज़ारे,
के सहरा छोर दो तुम अगर दिन देखना है।
सबसे जुदा होकर, हम गुनगुनाते चले गऐं
आरज़ू हथेली पर रखकर, हम मुस्कुराते चले गऐं ।
तन्हाई में मैं तेरी सुनता हूँ,
तेरे साथ के हर पल सपने बुनता हूँ।
बारिश की बूंदे, बेइंतहा सताती है
तेरी यादों के साथ हमें, तनहा कर जाती है ।
मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी।
बिछड़ के भी वो रोज मिलता है मुझे ख्वाबों में,
अगर ये नींद न होती तो कब के मर गए होते।
जरुरत जब भी थी मुझको किसी के साथ की,
उन्हीं मखसूस लम्हों में मुझे छोड़ा है अपनों ने।
तन्हाई की रात कट ही जाएगी
इतने भी हम मजबूर नहीं,
दोहरा कर तेरी बातों को
कभी रो लेंगे कभी हँस लेंगे।
alone shayari in hindi for girlfriend
सुबकती रही रात अकेली तन्हाईओं के आगोश में,
और वो काफ़िर दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया।
मेरी तन्हाइयाँ करती हैं जिन्हें याद सदा,
उनको भी मेरी जरुरत हो जरूरी तो नहीं
कभी सोचा न था तन्हाइयों का दर्द यूँ होगा,
मेरे दुश्मन ही मेरा हाल मुझसे पूछते हैं।
यूँ भी हुआ रात को जब लोग सो गए,
तन्हाई और मैं तेरी बातों में खो गए।
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आपकी कमी सी है।
कुदरत के इन हसीन नजारों का हम क्या करें,
तुम साथ नहीं तो इन चाँद सितारों का क्या करें।
किसी ने दिल जीत लिया,
किसी ने दिल हारा था,
जो अकेला रह गया,
बस वो दिल हमारा था।
अब मैं अकेले नहीं बैठता कहीं,
बहुत डराती हैं तुम्हारी यादें मुझे अकेले में।
मैं अकेला ही भला हूँ,
किसी औऱ की उम्मीद नहीं करता,
तन्हाई रोज़ खुल कर जीता हूँ,
भीड़ से गुज़रने की जिद नहीं करता
अगर जिंदगी में जुदाई न होती,
तो कभी किसी की याद न आई होती,
अगर साथ गुजरा होता हर लम्हा तो,
शायद रिश्तो में इतनी गहराई न होती
हर शख्स मुझे ज़िन्दगी जीने का तरीका बताता हैउन्हें
कैसे समझाऊँ की एक खुवाब अधुरा है मेरावरना जीना तो मुझे भी आता है
जिंदगी के ज़हर को यूँ हँस के पी रहे हैं,
तेरे प्यार बिना यूँ ही ज़िन्दगी जी रहे हैं,
अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें,
तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे हैं।
पास आकर सब दूर चले जाते हैं,
अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते हैं,
इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे,
मल्हम लगाने वाले ही जख्म दे जाते हैं।
ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है
कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें,
हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें,
काटी हैं अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें,
हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें।