हम अपने दर्द का शिकवा तुमसे कैसे करें,
मोहब्बत तो हमने की है तुमतो बेक़ुसूर हो।
कभी तोडा कभी जोड़ा कभी फिर तोड़कर जोड़ा,
नाकारा कर दिए दिल को तेरी पेवन्द कारी ने।
मैंने खुदा से पूछा वो क्यों छोड़ गया मुझे, उसकी क्या मजबूरी थी, खुदा ने कहा न कसूर तेरा था न गलती उसकी थी, मैंने ये कहानी लिखी ही अधूरी थी।
Dard Bhari Shayari in hindi
कौन कहता है नफ़रतों मैं दर्द होता है
कुछ मोहब्बत बड़ी कमाल की होती है
हम भी फूलों की तरह अक्सर तनह रहते है
कभी टूट जाते है तो कभी कोई तोड़ देता है
तुम मुझे अपना बना ले या मुझे छोड़ दे
जो भी तेरा फ़ैसला होगा मुझे मंज़ूर होगा
अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई,
तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं।
नसीहत अच्छी देती है दुनिया,
अगर दर्द किसी ग़ैर का हो।
तुमको लेकर मेरा ख्याल नही बदलेगा
जख्म ही देना तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था
बे रहम तूने वार क्या वो भी दिल ही वार क्या
हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे;
वो भी पल पल हमें आजमाते रहे;
जब मोहब्बत में मरने का वक्त आया;
हम मर गए और वो मुस्कुराते रहे।
Dard Shayari In Hindi
रोने की सज़ा न रुलाने की सज़ा है;
ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है;
हँसते हैं तो आँखों से निकल आते हैं आँसू;
ये उस शख्स से दिल लगाने की सज़ा है।
कितना मुश्किल है मोहब्बत की कहानी लिखना
जैसे पानी से पानी पे पानी लिखना
मिलता भी नहीं तुम्हारे जैसे इस शहर में
हमको क्या मालूम था के तुम भी किसी और के हो
एक धागे के प्रेम में,जैसे मोमबत्ती कतरा-कतरा जलती है, बस ऐसा ही प्यार… वो पगला मुझसे करता है
हे खुदा उम्र चाहे मेरी कम लिखना पर जितनी लिखना उसके साथ लिखना
मरता नहीं कोई किसी के बगैर ये हकीकत है ज़िन्दगी
लेकिन सिर्फ सांस लेने को जीना तो नहीं कहते
हर जख्म की आगोश मैं दर्द तुम्हारा है
हर दर्द मैं तस्कीन का एहसास भी तुम ही हो
आँखों में उमड़ आता है बादल बन कर,
दर्द एहसास को बंजर नहीं रहने देता।
रोज़ पिलाता हूँ एक ज़हर का प्याला उसे,
एक दर्द जो दिल में है मरता ही नहीं है।
पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है,
फैलता जाता है फिर आँख के काजल की तरह।
बहुत जुदा है औरों से मेरे दर्द की कहानी
ज़ख्म का कोई निशान नहीं और दर्द की कोई इंतहा नही
कुर्बान हो जाऊँ उस दर्द पर , जिसका इलाज़ सिर्फ तुम हो
मर के किसी को किया इलज़ाम दे अपनी मौत का
यहाँ सताने वाले भी अपने है और दफ़नाने वाले भी अपने है
तकलीफ ये नहीं कि तुम्हें अज़ीज़ कोई और है,
दर्द तब हुआ जब हम नजरंदाज किए गए।
कोई मरता नहीं किसी ले लिए ये सच है
मगर ये सच है कोई मर मर के जीता है किसी के लिए
अभी मसरुफ हूँ काफी फुर्सत में सोचूंगा तुम्हे
के तुझे याद रखने में क्या क्या भूले है हम
मोहब्बत छोड़ कर हर एक जुर्म कर लेना
वरना तुम भी मुसाफिर बन जाओगे तनहा रातों के
जिनके पास जिंदगी में देने के लिये मोहब्बत के सिवा कुछ नही होता है ,
उन्हें जिंदगी में दर्द के सिवा कुछ नही मिलता है।
दिल छोड़ कर और कुछ माँगा करो हमसे,
हम टूटी हुई चीज़ का तोहफा नही देते है।
अकेले ही गुजारनी पड़ती है ज़िन्दगी
और तसलियाँ देते है जीना
हकीकत बयां करू तो मैं उसके इन्तजार में हूँ
पर क्या करू मैं नए रिश्तो की दीवार में हूँ
अपना कोई मिल जाता तो हम फूट के रो लेते,
यहाँ सब गैर हैं तो हँस के गुजर जायेगी।
अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उमीदों,
बहुत दर्द सह लिए मैंने बहुत दिन जी लिया मैंने।
तुझसे पहले भी कई जख्म थे सीने में मगर,
अब के वह दर्द है दिल में कि रगें टूटती हैं।
सब सो गए अपना दर्द अपनों को सुना के,
कोई होता मेरा तो मुझे भी नींद आ जाती।
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते है दाम अक्सर
न बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ती है
पत्थरों से प्यार किया क्योंकि नादान थे हम, गलती हुई क्योंकि इंसान थे हम, आज जिन्हें हमसे नजरे मिलाने में तकलीफ होती है, कल उसी इंसान की जान थे हम।
हम न पा सके तुझे मुद्दतो चाहने के बाद, और किसी ने तुझे अपना बना लिया चन्द रस्मे निभाने के बाद।
माँगा था थोड़ा सा उजाला जिंदगी में, पर चाहने बालो ने तो आग ही लगा दी।
अब शिकवा करें भी तो करें किससे, क्योंकि ये दर्द भी मेरा, और दर्द देने बाला भी मेरा।
रह रह के मुझे इतना रुलाते क्यूँ हो
याद कर नही सकते तो याद आते क्यूँ हो
बहुत आसाँ है इश्क़ में हार के खुदखुशी करलेना
कितना मुश्किल है जीना, ये हमसे पूछ लेना
झूठी हँसी से जख्म और बढ़ता गया,
इससे बेहतर था खुलकर रो लिए होते।
किस दर्द को लिखते हो इतना डूब कर,
एक नया दर्द दे दिया है उसने ये पूछकर।
तेरे ऐसे सच्चे आशिक़ है हम
दिलमे जिसके प्यार न हो कभी कम
सच्चे प्यार में तो ज़िन्दगी महक जाती है
ना जाने हमारी आँखे क्यों है नम
अब दर्द उठा है तो गज़ल भी है जरूरी,
पहले भी हुआ करता था इस बार बहुत है।
अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई,
तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं।
मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनिया में,
इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं।
मेरे ज़झक्मों का हौसला तो देख
तो हस दिया तो मैं भी तेरे साथ हास् दिया
नमक को हाथ में लेकर सनम सोचते क्या हो
हजारों जख्म दिल मैं है जहाँ चाहो छिड़क दो
ज़िन्दगी हर वक़्त कहती है उदास मत रहा करो
मैं कहता हूँ मुझे एक वजह दे मुश्कुराने की
ज़हर देता है कोई कोई दवा देता है,
जो भी मिलता है मेरा दर्द बढ़ा देता है।
अब तो हाथों से लकीरें भी मिटी जाती हैं,
उसे खोकर मेरे पास रहा कुछ भी नहीं।
तू है सूरज तुझे मालूम कहाँ रात का दर्द,
तू किसी रोज मेरे घर में उतर शाम के बाद।
शायरी में कहाँ सिमटता है दर्द-ए-दिल दोस्तो,
बहला रहे हैं खुद को जरा कागजों के साथ।
Dard Bhari Shayari
न जाने क्यों हमें आँसू बहाना नहीं आता, न जाने क्यों हाल-ऐ-दिल बताना नहीं आता, क्यों सब दोस्त बिछड़ गए हमसे, शायद हमें ही साथ निभाना नहीं आता
मेरा ख़याल ज़ेहन से मिटा भी न सकोगे, एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे, तो सारी उम्र मुस्करा न सकोगे।
दिल के टूटने से नही होती है आवाज़, आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़, गम का कभी भी हो सकता है आगाज़, और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास।
दर्द कितना है बता नहीं सकते, ज़ख़्म कितने हैं दिखा नहीं सकते, आँखों से समझ सको तो समझ लो, आँसू गिरे हैं कितने गिना नहीं सकते।
कांटो सी चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाई, कोई आ कर हम दोनों को ज़रा हँसा दे, मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
एक लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए, कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने ज़माने के लिए, उनका मिलना ही मुक़द्दर में न था, वर्ना क्या कुछ नहीं किया उनको पाने के लिए।
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है, जिसका रास्ता बहुत खराब है, मेरे ज़ख्म का अंदाज़ा न लगा, दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है।
बिन बताये उसने ना जाने क्यों ये दूरी कर दी, बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी, मेरे मुकद्दर में ग़म आये तो क्या हुआ, खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।
बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की, कोई किसी को टूट कर चाहता है, और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।
दर्द दे गए सितम भी दे गए, ज़ख़्म के साथ वो मरहम भी दे गए, दो लफ़्ज़ों से कर गए अपना मन हल्का, और हमें कभी ना रोने की कसम दे गए
कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का, वो क्या समझे दर्द आंखों की इस नमी का, उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब कि, उन्हे अब एहसास ही नहीं हमारी कमी का